Monday, 26 September 2016

ये है विश्व की सबसे बड़ी तोप, एक बार चली तो गोले से बन गया तालाब

 
जयपुर. जयपुर में जयगढ़ किले पर रखी यह तोप विश्व में सबसे बड़ी तोप मानी जाती है। इसके साइज और ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि इसके एक गोले से शहर से 35 किलोमीटर दूर एक गांव में तालाब बन गया था। आज भी यह तालाब मौजूद है और गांव के लोगों की प्यास बुझा रहा है। अरावली की पहाडिय़ों पर बना जयगढ़ दुर्ग का निर्माण 1726 में हुआ था। 31 फीट लंबी है तोप की नली, 50 टन का है वजन...
- विश्व की सबसे बड़ी यह तोप जयगढ़ किले के डूंगर दरवाजे पर रखी है। तोप की नली से लेकर अंतिम छोर की लंबाई 31 फीट 3 इंच है।
- जब जयबाण तोप को पहली बार टेस्ट-फायरिंग के लिए चलाया गया था तो जयपुर से करीब 35 किमी दूर स्थित चाकसू नामक कस्बे में गोला गिरने से एक तालाब बन गया था।
- इस तोप का वजन 50 टन है। इस तोप में 8 मीटर लंबे बैरल रखने की सुविधा है।

100 किलो गन पाउडर से चलती थी तोप

- 35 किलोमीटर तक मार करने वाले इस तोप को एक बार फायर करने के लिए 100 किलो गन पाउडर की जरूरत होती थी।
- अधिक वजन के कारण इसे किले से बाहर नहीं ले जाया गया और न ही कभी युद्ध में इसका इस्तेमाल किया गया था।
यह है इस किले की रोचक कहानी
- किले की रक्षा में तैनात ताकतवर और भारी तोपों का तभी इस्तेमाल होता था, जब कोई दुश्मन हमला करे। दूसरे राज्य पर हमला करने के लिए इन भारी-भरकम तोपों को युद्ध भूमि तक ले जाना काफी कठिन था।
- इसी दौर में छोटे और हल्की तोपें बनाई गईं। इन तोपों को हाथी या ऊंट की पीठ पर बांधा जा सकता था। जयगढ़ के किले में रखी गई इस छोटी तोप को भी ऊंट की पीठ पर बांध कर चलाया जाता था। तोप के गोले का वजन 50 किलो तक होता था।
पहले तोप से फेंके जाते थे पत्थर

- शुरुआत में तोपों का इस्तेमाल पत्थरों को फेंकने के लिए किया जाता था। ये तोपें पहले तांबे और कांसे की बनीं फिर लोहे की बनने लगीं।
- 15वीं शताब्दी में तोपें 30 इंच परिधि की होती थीं और 1,200 से 1,500 पाउंड भार के पत्थर के गोले चलाती थीं।
- लोहे की तोपें आने के बाद लोगों ने देखा की पत्थर की जगह लोहे के गोले से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकता है। इसके बाद तोपों में लोहे के गोलों का इस्तेमाल किया जाने लगा और बैरल का व्यास कम हो गया।
3 किमी. में फैली हैं इस किले की दीवारें
- इस किले के दो एंट्री गेट है जिन्हें दूंगर दरवाजा और अवानी दरवाजा कहा जाता है।
- किले का निर्माण, सेना की सेवा के उद्देश्य से किया गया था जिसकी दीवारें लगभग 3 किमी. के क्षेत्र में फैली हुई है।
- किले के सबसे ऊंचे प्वाइंट पर दीया बुर्ज है जो लगभग सात मंजिला है, यहां से पूरे शहर का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है।
जयपुर का सबसे ऊंचा किला

- जयगढ़ किला जयपुर का सबसे ऊंचा दुर्ग है। यह नाहरगढ़ की सबसे ऊंची पहाड़ी चील टिब्बा पर स्थित है।
-इस किले से जयपुर के चारों ओर नजर रखी जा सकती थी। यहां रखी दुनिया की सबसे विशाल तोप भी लगभग 50 किमी तक वार करने में सक्षम थी।
- यह भी कहा जाता है कि महाराजा सवाई जयसिंह जब मुगल सेना के सेनापति थे तब उन्हें लूट का बड़ा हिस्सा मिलता था।
- उस धन को वे जयगढ़़ में छुपाया करते थे। इस दुर्ग में धन गड़ा होने की संभावना के चलते कई बार इसे खोदा भी गया।
जयगढ़ और आमेर महल के बीच सुरंग

- हाल ही में आमेर महल के कुछ भागों का नवीनीकरण किया गया। इसमें सबसे खास था आमेर महल से जयगढ़ जाने वाली सुरंग का तलाश कर फिर से उपयोग करने योग्य बनाना।
- जयगढ किले तक इस सुरंग की लंबाई लगभग 600 मीटर है। इस सुरंग से आमेर महल से जयगढ़ जाना बहुत आसान हो गया है

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